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सद् ग्रन्थ पढ़ों स्वाध्याय करो, मन के अज्ञान को दूर करो, '
...... .. स्वाध्याय करो स्वाध्याय करो। . श्रान्त विचारों, अधीरता और चंचलता के भावों को दूर करने का उपाय • सम्यग्ज्ञान है । ज्ञानी पुरुष संकट के समय धैर्य नहीं खोता और व्यर्थ चिन्ता : ..
नहीं करता। अगर दुःख सिर पर आ पड़े तो हाय-हाय करने से क्या लाभ है ? ... ज्ञान का बल होने से मनुष्य धीरज से समय काट सकता है । ऐसे ज्ञान की प्राप्ति सत्संग और स्वाध्याय से होती है। ....... ... .. .
...... शुभ कर्म को बढ़ाना पाप को घटाने का कारण है। शुभ कर्म से ..." - प्राध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है और आध्यात्मिक शक्ति वह शक्ति है. - जिससे मनुष्य कौटुम्बिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय शक्ति की वृद्धि करता है।
अकसर एक प्रश्न उठता है-राष्ट्र रक्षा में सन्तसमाज का क्या योगदान है ? ऐसा प्रश्न वही कर सकते हैं जो ऊपर-ऊपर की दृष्टि से विचार करने के
आदी हैं । गहराई से राष्ट्रीयता या राष्ट्रहित के सम्बन्ध में विचार करने वालों .. के मन में ऐसा प्रश्न नहीं उठ सकता। राष्ट्र की रक्षा केवल भौतिक साधनों से ... " होती है, यह समझ घातक है। भौतिक साधन और समृद्धि की प्रचुरता होने पर
भी यदि राष्ट्र की आन्तरिक चेतना जागृत नहीं है, राष्ट्र के निवासियों में .. नैतिकता, उदारता, त्यागवृत्ति, धार्मिक भावना नहीं है तो वह राष्ट्र कदापि सुरक्षित नहीं रह सकता। अतएव राष्ट्र की रक्षा उसमें निवास करने वाली प्रजा के सद्गुणों पर निर्भर है। जिस देश की प्रजा के आन्तरिक जीवन का स्तर जितना ऊँचा होगा, वह देश उतनी ही अधिक उन्नति कर सकेगा। इसके विपरीत, जिस देश के निवासी नैतिक दृष्टि से गिरे होंगे, अधार्मिक होंगे, स्वार्थपरायण होंगे, वह देश कदापि ऊँचा नहीं उठ सकता। कदाचित् ऐसा. . . .. कोई देश समृद्ध और शक्तिमान दीख पड़ता हो तो भी यही मानना होगा कि उसकी समृद्धि और शक्ति सिर्फ जारी है, उसमें स्थायित्व नहीं है थोड़े ही समय