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____ इस प्रसंग से रूपाकोशा ने मुनि का मन बदल दिया। उन्होंने कहा-मैं रूपाकोशा पर रोष कर रहा था मगर असली रोष का भाजन तो मैं स्वयं हूं, जो संयम को मलीन कर रहा हूँ। .
बन्धुओ, जो बड़े से बड़े प्रलोभन के सामने भी अपने संयम को स्थिर रखते हैं वे महापुरुष धन्य हैं और उन्हीं का इस लोक और परलोक में कल्याण होता है।