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[ ३१ । रामचरित्र सम्बन्धी राजस्थानी साहित्य की जानकारी कराने के पश्चात् इस प्रकाश्यमान सीताराम चौपई के निर्माता महाकवि समयसुन्दर का परिचय यहीं दिया जा रहा है।
कविवर समयसुंदर राजस्थान की पवित्र भूमि अपनी युद्धवीरता के लिये विश्वविख्यात है। पग-पग पर हजारों स्मारक आज भी अपनी मातृभूमि पर प्राण निछावर करनेवाले वीरों और वीरागनाओं की अमर कीर्ति की याद दिला रहे हैं। इसी प्रकार अपनी दानवीरता के लिये भी राजस्थान प्रसिद्ध है। आज भी भारत की अधिकांश पारमार्थिक संस्थाएँ यहीं के दानवीरों की सहायता से जन-कल्याण कर रही हैं। यहाँ के चारण सुकवियों की ख्याति भी कम नहीं है। उनके वीरकाव्यों ने यहां के पुरुषों में जिस प्रचंड वीरता का संचार किया उसे सुनकर आज भी कायर हृदयो में वीरोचित उत्साह उमड़ पड़ता है। परन्तु सच्चा मानव बनने के लिये वीरता के साथ-साथ विश्वप्रेम, भक्ति, सदाचार. परोपकार आदि सद्गुणों का विकास भी परमावश्यक है । इस आवश्यकता की पूर्ति संतों ने की, जिनमें जैन विद्वान संतो का स्थान सर्वोत्कृष्ट है। जैन विद्वानों ने अहिंसा का प्रचार तो किया ही, राजस्थान की व्यापारिक उन्नति के मूल कारण प्रामाणिकता पर भी उन्होने बहुत जोर दिया। इन मुनियों के उपदेशों ने जनता में वैराग्य, धर्म, नीति आदि आध्यात्मिक संस्कारों का विकास किया। कवि समयसुदरोपाध्याय भी उन्हीं जैन मुनियो में एक प्रधान कवि हैं।
समयसुंदर की कविता बड़ी ही सरल एवं ओजपूर्ण है। इनके