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( २८३ ) २-लंका लीजइगी, सुणि रावण, लंका लीजगी। __ ओ आवत लखमण कउ लसकर, ज्युं धन उमटे श्रावण १२६ ३-पद्धड़ी छदनी
१३७ ४-राग सोरठ जाति जांगड़ानी
१४५ ५-खेलानी
१५१ ६-प्रोहितीयारी अथवा संघवीरी
१५७ ७-श्रावण मास सोहामणउ एचउमासिया, ए गीतनी राग
मल्हार
खण्ड--७ १-छांनो नइ छिपी नइ वाल्हो किहा रहिउ २-हो रंग लीया हो रंग लीया नणद ३-रे रंग रत्ता करहला, मो प्रोउ रत्तउ आणि । हुँ तो ऊपरि
काढिनइ, प्राण करू कुरवाण। १। सुरंगा करहारे मो
प्रीउ पाछठ वालि, मजीठा करहा रे ए गीतनी ढाल १७६ ४-जानी एता मान न कीजीयइ ए गीतनी, राग बंगालु १८२ ५-सिहरां सिरहर सिवपुरी ( मधुपुरी) रे गढा वड़ गिर
नारि रे राण्या सिरहरि रुकमिणी रे, कुंयरा नन्द कुमार रे! कंसासुर मारण आविनइ, प्रल्हाद उधारण रास रमणि घरि आज्यो। घरि आज्यो हो रामजी, रास रमणि घरि आज्यो।
१८४ ई-वधावारी राग-मल्हार
१८६ ७-आंवो मउरयो हे जिण तिणइ
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