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( २८१ ) . खण्ड ३ १--जिनवर स्यं मेरउ चित्त लीणउ राग रामगिरी ४५
अम्हनइ अम्हारइ प्रियु गमइ, काजी महमद ना गीतनी ढाल २-राजमती राणी इणि परि बोलइ,
नेसि विण कुण धुंघट खोला ३-सुण मेरो सजनी रजनी न जावद रे, या ।
पियुडा मानउ बोल हमारउ रे । ४-ढाल चंदायणानी पण दूहे दूहे चाल राग केदार गड़ी ५--मेरा साहिव हो श्री शीतलनाथ कि ६-ईडरियै २ टलगाणइ आबू उलग्यउ आ० ७-नाहलिया म जाए गोरी र३ वणहटइ
खण्ड ४
१-वेसर सोना की धरि दे वे चतुर सोनार वे० ____ वेसर पहिरी सोना की रंझे नंदकुमार वे० २-जा जा रे वांधव तु वडउ ( ए गुजराती गीतनी)
अथवा-वीसारी मुन्हें बालहइ तथा हरियानी ३-देखो माई आसा मेरई मन की लफल फली रे
आनंद संगि न माय ४--दिव श्रीचंद सकल वन जोतुं, राग गउडी ५-~-वाज्यउ वाज्यउ मादल कउधोंकार ए गीतनी जाति
महिमा नइ मनि बहु दुख देखी बोल्यउ मित्र जुहार ६-जंबूद्वीप मझार म० ए सुबाहु संधिनी ढाल । ७-कपूर हुवइ अति ऊजलोरे वलि रे अनुपम गंध