________________
ढाल पाचवों
॥ राग गउडी॥ वाज्यउ वाज्यउ मादल कउ धोकार, ए गीतनी जाति ।
महिमा नइ मनि बहु दुख देखी, वोल्यउ मित्र जुहार ए देसी ॥ राजा हुकम कीयो नाटक कउ, नदुई बाल कुमारि ।। चंदवदन मृगलोयणि कामिणी, पगि झाझर झणकार ॥११॥ ततत्थेई नाचत नदुई नारि, पहिल्या सोल शृंगार। राम नायक मन रंगी नचावते, अपछर के अणुहारि ॥२ त० गीत गान मधुर ध्वनि गावति, संगीत के अनुहारि। हाव भाव हस्तक देखावति, उर मोतिण कउ हार ॥२ त०॥ सीस फूल काने दो कुण्डल, तिलक कीयो अतिसार। नकवेसर नाचति नक अपरि, हुं सवम सिरदार ।।४ तक। ताल खाव वजावति वासुली, अरु मादल धोंकार। अंग भग देसी देखावत, भमरी द्यइ वार-वार ।।५ तना ताल उपरि पद ठावति पदमिनि, कटि पातलि थणभार । रतन जडित कंचुकी कस वांधति, ऊपरि ओढणिसार ॥६ त०॥ चरणाचीरि चिहूं दिसि फरकइ, सोलसज्या सिणगार। मुख मुलकति चलति गति मलपति, निरखति नजरि विकार ||७ तoll नाटक देखि मोही रह्यो राजा, मोह्या राजकुमार । राज सभा पणि सगली मोही, कहईए कवण प्रकार ।।८ तoll ऐ ऐ विद्याधरी ए कोई, के अपछर अवतार। के किन्नर के पाताल सुंदरी, सुंदर रूप अपार ।। तना