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________________ ( ४७ ) जीवनइ मारउजे नहीं, जूठ न बोलई जेह । अणदीधर जे ल्यइ नहीं, न धरइ नारी नेह ॥३॥ आरंभ कर्म करई नहीं, न करई पाप करम्म । वलि जे इन्द्री वस करई, धरमनउ एह मरम्म ||४|| [सर्वगाथा ३२] ढाल बोजी २ राजमती राणी इणिपरि वोलइ, नेमि विणा कुण धुंघट खोलइ एहनी ढाल धरम सुणी राजा प्रतिवूधउ, निरमल समकित पालइ सूधउ ॥शा धol एहवउ राजा अभिग्रह कीधउ, साधतणई पासई राँस लीधउ ॥२॥ ध० अरिहत, साध विना नहिं नामुं, सिर किणनई सुध समकित पामुं ।।३।। साधु वादी राजा घरि आयउ, लाघउ निधान जाणे सुख पायउ ॥४॥ देव जुहारई गुरुनई वंदई, जिनधर्म करतउ मनि आणदइ ।५ । ध०। श्रावकना व्रत सूधा पालड, श्रीजिन सासन नई अजुयालई ॥६॥ ध० ॥ एक दिवस मन माहि विचारई, किम मुझ सॅस ए पडिस्यइ पारइ ७।१० ऊजेणी नगरी नउ राजा, सीहोदर तिणसुं मुझ काजा ||८|| ध०॥ सीस नमाड़ तउ सुस भाजइ, प्रणम्या बिन किम पडगनउ खाजइह । मुद्रिकामई मुनिसुव्रत मूरति, राय करावी सुदर सूरति ।।१०।। ध० सीहोदरना प्रणमई पाया, पणि प्रतिमा ना अध्यवसाया ।११। ध० इण करतां दिन वठल्या केता, सावतउ समकित सुप्रसननेता ॥१२॥ १० दुसमण भेद कह्यो राजानई, घाली घात पापइ पचिवानइं । १३ ध० कुटिल चालइ परछिद्र गवेपइ, दो जीभउ उपकार न देखइ ॥१४॥ ध०
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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