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[ ३] __ वहुत है सम्पूर्ण रचना नौ खण्डों में विभक्त है। जिनका नामकरण
कवि ने प्रत्येक खण्ड के अन्त में किया है। ___ महाकाव्य सर्ग वद्ध किया जाता है। यह रचना अनेक खंडों में । लिखी गई है और बहुत बड़ी है। जीवन का सर्वांगीण चित्रण हमें इसमें मिलता है। नायक स्वयं राम है जिनके वीरत्व में धीरत्व में सन्देह का कोई स्थान नहीं। वृत ऐतिहासिक है ही जिसमें पीछे कवि का महदुद्देश्य राम गुणगान स्पष्ट है। छन्द की विविधता, रसों का पूर्ण परिपाक, यह सब इस रचना को प्रबन्ध काव्य की कोटी में ला खड़ा करते हैं। कवि ने स्वय इस ओर सर्गान्त में संकेत कर दिया है-इति श्री सीता राम प्रवन्धे।" इस प्रकार प्रस्तुत ग्रन्थ एक चरितात्मक प्रवन्ध काव्य सिद्ध होता है जिसमें अनेक का सम्बन्ध सुत्र नायक (राम) की कथा से जोड़ दिया गया है। चौपाई छन्द की अधिकता के साथ-साथ अन्य छन्द भी प्रयुक्त किये गये हैं अतः चौपाई की प्रधानता होने पर भी एवं प्रबन्ध' के पर्याय के रूप में भी 'चउपई' नाम रखा गया है।
ग्रन्थ का प्रारम्भ-ग्रन्थ का प्रारम्भ कवि ने परम्परानुसार मंगलाचरण से किया है।
स्वस्तिश्री सुख सम्पदा, दायक अरिहंत देव
निज गुरुचरण कमल नमु, त्रिण्ह तत्व दातार
समरू सरसति सामिनी, एक करूँ अरदास ।