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राजस्थानी का एक रामचरित काव्य समयसुंदर रचित सीताराम चौपाई
(प्रो० फूलसिह "हिमांशु") कविवर समयसुंदर का यह राजस्थानी रामकाव्य सं० १६७७ से ८३ के बीच रचा गया है इसका कथासार इस प्रकार है :
राजा श्रेणिक के पूछने पर गौतम मुनि उन्हें कथा कहते हैंवेगवती एवं मधुपिंगल के जीव रानी वैदेही के गभ से क्रमशः सीता और भामंडल के नाम से उत्पन्न हुये। अयोध्या के राजा दसरथ की रानी अपराजिता से पद्म (राम ) सुमित्रा से लक्ष्मण तथा कैकेयी से भरत और शत्रुघ्न उत्पन्न हुए। राम एवं सीता का परिणय । राम को राज्य दे दशरथ द्वारा जिन दीक्षा ग्रहण के निश्चय पर अपने स्वयम्बर में राजा दशरथ का कौशल से रथ हाँकने पर कैकेयी द्वारा प्राप्त वर को भरत के राज्यतिलक के रूप में मांगना। राम लक्ष्मण का सीता सहित वनवास गमन । दशरथ द्वारा दीक्षा ग्रहण । कैकेयी द्वारा ग्लानि अनुभव । भरत को भेज राम को लौटाने का प्रयत्न । कैकेयी का भी राम के पास प्रायश्चित करने हेतु पहुँचना। किन्तु राम द्वारा समझा कर वहीं भरत का राजतिलक ।
बनवास - काल में कई कथा-प्रसंग। लक्ष्मण द्वारा कई विवाह। नन्दावर्त के राजा अतिवीर्य और भरत के बीच होने वाले युद्ध में राम-लक्ष्मण द्वारा नट वेश बना, अतिवीर्य को बन्दी बनाना दण्ड