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________________ ? ( ३८ ) [८] वाग्विलास कथा संग्रह | [C] फलौटी पार्श्वनाथ छंद - गाथा १२१ इनमे से माकण रास 'मरू भारती' मे और वाखिलास कथा संग्रह 'वरदा' में प्रकाशित किया जा चुका है। कीर्तिसुन्दर के अतिरिक्त धर्मवद्धनजी के जयसुन्दर ज्ञानवल्लभ (गङ्गाराम' आदि और भी कई शिष्य थे | कीर्तिसुन्दर के शिष्य शान्तिसोम और सभारन की लिखी हुई कई प्रतिया बीकानेर वृहदज्ञानभडार मे है । १६ वीं शताब्दी तक धर्मवनजी की शिष्य-परम्परा विद्यमान थी । कविवर के प्रकाशित ग्रन्थ प्रस्तुत ग्रन्थ मे आपकी जितनी भी लघु रचनाए संस्कृत, राजस्थानी हिन्दी मे प्राप्त हुई, उन्हें प्रकाशित किया जा रहा है । उनकी नामावली अनुक्रमणिका में दी हुई है इसलिए यहा उसका उल्लेख नहीं किया जा रहा है । यहा केवल उन्हीं रचनाओं का परिचय दिया जा रहा है, जो इस ग्रन्थ के बड़े हो जाने के कारण इसमे सम्मिलित नहीं की जा सकी । (१) श्रेणिक चौपर्ड राजगृह के महाराजा श्रेणिक जो भगवान् महावीर के भक्त थे, उनका चरित्र इस ग्रन्थ मे दिया गया है । कथा प्रसंग बड़ा रोचक है साथ ही बुद्धिवर्द्धक भी । कवि ने ३२ ढाल
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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