________________
२१२
धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली
कोस त्रिण्ड देह त्रिणपल्ल आयु धारण,
तीय दिन तुअर परमाण आहारए । त्रिण कोडा कोडि सागर सुन्बम बीय अगे,
देह दो कोन दोई पल आयु धरो। बोर परिमाण आहार बीजे दिन,
___ युगलीया मानवी एह कहिया जिणे ।। दोड कोडाकोडि सुखम दुःस्त्रमा कह्यो,
कोस इक काय इक पल आयु लह्यो । आमलामान आहार ले दिन प्रत.
काल कर जुगलीया पोहचे सुरगतै ।४।
दाल वीर जिरोसरनी। तिण तीजे अरै तीन वरस साढा अठ मास,
शेष रह्या श्री आदिदेव पहुंता सिववास । चौरासी पुव्वलाख वर्ष पाल्यो जिण आयु,
पाचसै धनुप प्रमाण काय राजे जगराय ! ५॥ आदि थकी पंचास कोड लख सागर हेव,
हुयो अजित जिणेसरु ए वीजो जिण देव । साढी च्यारसै धनुप देह दीपं गुणगेह,
बहुतर पूर्व लाख वर्प आउखो एह । ६ । अजित थकी त्रीस कोड लाख सागर गया जाम, -
तीजो तीर्थकर हुवो ए संभव शुभ नाम ।