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हितोपदेश स्वाध्याय पूर्व पुन्यइ नर भव पायौ, उत्तम कुल पिण आयो। सगली बात विशेष समझ्यौ, सुक्रत सच सवायो। चे०१२॥ बहै जीव वलि झूठौ बोले, राखै पर धन राचैं। मैथुन सवे परिग्रह मेले, परिहरि आश्रव पाचे । चे०३। च्यार कपाय तिके चकचूरौ, बंधन बोडो बेही । कलह कलंक न करि तु निंदा, करै अरति रति केही । चे०।४।। परिहरि तु परही पिसुनाइ, माया मोस म धारै। मन माहे मिथ्यात न आण, ए छै पाप अढारै । चे०।५। म रमे जू आमिष मदिरा, बलि वेश्या नी वाते । आहौडौ चोरी पर स्त्री, सबला कुविसन साते । चे०। ६ ।. बाइ माइ आई वावउ, संहु संसार सगाई। स्वारथ काज सिल्या छै सगला, साथै धरम सखाइ । चे०१७॥ सामइ भेला आइ सराहइ, हेकण हाटइ हूया। परभाते पौताने पथे, जाय सहु को जूआ । चे०। ७ । जोरै रीस रहै छै जलतो, तल तौ छाती ताती। जोता जोता में जलि जासी, वीतइ तेलइ वाती । चे०।६। सींग माडइ छइ सहु सु साम्हा, ऊंची रहै छै ऊडी। तूटी झोरि किहा ही पडसी, गुडथल खाती गूडी । चै० । १० ॥ मोस लोक घणा करि माया, वगलौ होइ अबोलो। दोलै ताकि रह्यौ छै दुस्मण, सीधे हाथ गिलौलौ । चेक लोभ लागौ खाय नै खरचै, राक मनै लछि राखी। घाटो मिलीयां हाथ घसेलौ, महु त्रुटै जिम माखी । ०। १२ ।