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सच्चा जिनवाणी संग्रह
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पृष्ट संख्या ८०० चित्र संख्या १६ पुष्ट कागज कपड़ेकी पक्की सुनहरी रेशमी जिल्द पर इस आवृत्तिको
कार्यालय के मालिकोंने लागत मात्र
अर्थात् १) एक रुपया में देनेका निश्चय किया है । एक व्यक्ति २ कापीसे ज्यादा न मंगावे कारण प्रचारके - लिए ही ऐसा किया गया है। शास्त्रदानी को एक साथ १०० प्रति लेने से पौनी कीमत अर्थात् ७५) रु. में देंगे । शीघ्रही पत्र लिखें।
उत्तमोत्तम कथा ग्रंथ राम बनवास
पद्म पुराण सप्तव्यसन चरित्र
हरिवंश पुराण पुन्याश्रव कथा कोष
मल्लिनाथ पुराण अराधनाकथा कोष ३ भाग ३॥) आदिनाथ पुराण प्रद्युम्न चरित्र
पुरुषार्थ सिद्धुपाय सुकमाल चरित्र
भक्तामर कथा चारुदत्र चरित्र
॥) वृहद विमलपुराण प्रकाशक-दुलीचन्द परवार, जिनवाणी प्रचारक कार्यालय
१६१।१ हरीसन रोड कलकत्ता
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