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है जिनेश्वर; त्यांरी गतिनें अनुपूर्वी दीसे हैं पाप त्यांरी गति नैं अनुपूर्वी दीसे उषा लारे, इरो निश्चय जाणै जिनेश्वर श्राप || पा ॥ ४६ ॥ व्यार संघयण में जे हाड पाडवा, ते अशुभ नाम कर्मोदय सें जाणो । च्यार संठाण में श्राकार भंडा ते, अशुभ नाम कर्मोदय मिलया श्राणों ॥ पा ॥ ४७ ॥ शरीर उपांग बंधण संघातण, त्यांमें केई कां मांठा अत्यन्त जोग । ते पण अशुभ नाम कर्म उदय से, ऋण गमता पुद्गलांगे मिलयो संजोग || पा ||४८ || चरण गंध रस स्पर्श मांठा, मिलिया, तेण गमता ने अत्यन्त प्रयोग । ते पिण अशुभ नाम कर्म उदय से, एहवा अशुभ पुद्गलांगे मिलियो जोग || पा ॥ ४६ ॥ थावर नाम कर्म उदय थावर दसको, तिरा दसकारा दस बोल पिछाणों । ते नाम उदय छै जीवरा' नाम, तेहवा हिज नाम कर्मीरा जाणो ॥ पा । ५० ॥ थावर नाम उदय जीव थावर कहा, तिण से श्रा घो. पाछो सरकणी नहीं श्रावै । सूक्षम नाम उदय जीव. सूक्षम हुत्री है, सूक्षम शरीर सघल नान्हो पावै ॥ पा । ५१ ॥ साधारण नामसं जीव हुत्रो
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