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न श्राज्ञा नहीं कांहो || भ | पु ॥ ५६ ॥ ठाम २ सूत्रमें देखल्यो रेलाल । निरजरा ने पुन्यरी करणी एकहो ॥ भ ॥ पुन्य हुवै तिहां निरजरा हुवै रेलाल तिहां जिन श्राज्ञा है विसेक हो । भ ।। पु ॥ ५७ ॥ नव प्रकारे पुन्य नींपजै रेलाल । ते भौगवे वयां - लीस प्रकार हो । भ । पुन्य उदय हुयां जीवरे रेलाल | सुख साता पामें संसार हो ॥ भ ॥ पु ॥ ॥ ५८ ॥ इण पुन्य तयां सुखकारमां रेलाल । विरासतां नहीं लागे वारहो ॥ भ ॥ तियरी बान्छा नहीं किजीए रेलाल | ज्युं पामूंभव जल पार हो । भ । पु॥५६॥ जिग पुन्य तणी बान्छा करी रेलाल । तिय बान्छा कामनें भोग हो || || संसार बधै कांम भोग सुं रेलाल । पामें जन्म मरणने सोग हो || भ ॥ पु ॥ ६० ॥ बान्छा तो कीजे येक मुक्तिरी रेलाल | और बान्छा न कीजे लिगार हो ॥ भ ॥ जि पुन्य तणों बान्छा करी रेलाल । ते गया जमारो हार हो ॥ भ ॥ पु ॥ ६१ ॥ सम्बत् अठारह तयांलीस में रेलाल । कार्तिक सुदि चोथ गुरूवार हो ॥ भ ॥ पुन्य निपजै ते बोलखायवा रेलाल | जोड कधी कोठारया मंकार हो ॥भ॥ पु ॥ ६२ ॥ इति पुन्य पदार्थ ||