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पत्र
श्रशुद्ध
।
शुद्ध
.
१६ | मनपर्यव
| उपस्प प्रावया कुकरमी. सिफ: परणाम স্বাস্থ न्यूतन स्मपूर्ण प्रतना निसहाय
मनापर्यव सो . उपसम प्रवाः कुकर्मी सिर्फ परिणाम
आश्रव नूतन संपूर्ण प्रवीना निस्सहाय नृतन संपूर्ण
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| न्यूतन
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२८ ! समपूर्ण
जोगविर्य उपारजन
जोगीर्य .
उर्जन
विर्य