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KAALANA
THDRANI
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जैनग्रन्थरत्नाकरे
MAHARA...
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ताहीको सपूत जगजीवन सुदिढ जैन,
वानारसी वैन जाके हियेमें सवलसा ॥ १ ॥ समै जोग पाइ जगजीवन विख्यात भयो, __ज्ञानिनकी मंडलीम जिसको विकास है। तिनने विचार कीना नाटक बनारसीका, ___ आपके निहारिवैको आरसी प्रकाश है ॥ और काव्य धनी खरी करी है बनारसीने,
सो भी क्रमसे एकत्र किये ज्ञान भास है। ऐसी जानि एक ठौर, कीनी सब भाषा जोर ___ताको नाम धरयो वो बनारसीविलास है ॥२॥
दोहा। सत्रहसै एकोत्तरै, समय चैत्र सित पाख। द्वितियामें पूरन भई, यह वनारसी भाख ॥३॥ इति श्रीकविवर बनारसीदासकृत बनारसी
विलास समाप्त
है
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