________________
+ + +:
TAMA - -
kutakartanWSEXMwidal
-
१७०
जैनग्रन्थरत्नाकर
Frtitattattituttekatrkut.ketaketaketikekutettitutettitutickettractitutotkattituttitik
अथ शारदाष्टकं लिख्यते.
वस्तु छन्द नमो केवल नमो केवल रूप भगवान । मुख ओंकारधुनि सुनि अर्थ गणधर विचारै ।। रचि आगम उपदिशै भविक जीव संशय निवारै ॥
सो सत्यारथ शारदा तासु, भक्ति उर आन । छन्द भुजंगप्रयातमें, अष्टक कहीं बखान ॥१॥
भुजंगमयात. जिनादेशजाता जिनेन्द्रा विख्याता।
विशुद्धप्रबुद्धा नमों लोकमाता ॥ दुराचार दुनैहरा शंकरानी।
नमो देविबागेश्वरी जैनवानी ॥२॥ सुधाधर्मसंसाधनी धर्मशाला।
सुधातापनि शनी मेघमाला ॥ महामोहविध्वंसनी मोमदानी।
नमो देवि वागेश्वरी जैनवानी ॥३॥ अक्षवृक्षशाखा व्यतीतामिलाषा।
कथा संस्कृता प्राकृता देशमाषा ॥ चिदानन्द-भूपालकी राजधानी।
नमो देवि वागेश्वरी जैनवानी ॥ ४ ॥
Mart-tst.tit.ttituttituttituteketrinteditatitutkrt.kittentitatutikuttt.titatistkrt.it