________________
Antatuttitutetstatutetstakottestatutetstotketirit.in
जैनग्रन्थरत्नाकरे
Sxstosatsankikekitutitutikotukkakakkakakikat.mkakutakkukukukkakakkukkukat.k.kottotost
शार्दूलविक्रीडित । वत्तां मौनमगारमुज्झतु विधिप्रागल्भ्यमभ्यस्यता
मस्त्वन्तर्गणमागमश्रममुपादत्ता तपस्तप्यताम् । श्रेयापुञ्जनिकुञ्जभञ्जनमहावा न चेदिन्द्रिय___ वातं जेतुमवैति भस्मनि हुतं जानीतं सर्व ततः ७१
मौनके धेरैया गृह त्यागके करैया विधि,
रीतके सधैया पर निन्दासों अपूठे हैं । विद्याके अभ्यासी गिरिकंदराके वासी शुचि
अंगके अचारी हितकारी वैन छूठे हैं। आगमके पाठी मन लाय महा काठी भारी ; ____ कष्टके सहनहार रामाहुसों रूठे हैं ।
इत्यादिक जीव सब कारज करत रीते; __इन्द्रिनके जीते विना सरवंग झूठे हैं ।। ७१ ॥ धर्मध्वंसधुरीणमनमरसावारीणमापत्प्रथा* लकर्मीणमशर्मनिर्मितिकलापारीणमेकान्ततः। *सर्वानीनमनात्मनीनमनयात्यन्तीनमिष्टे यथा
कामीनं कुपंथाध्वनीनमजयन्नक्षौधमक्षेमभाक् ॥ ७२ ॥ धर्मतरुमंजनको महा मत्त कुंजरसे;
आपदा भंडारके भरनको करोरी हैं।
photukukutek.tatutitutkukkukuttitutekakankutakkarketiuantitutiktatituttitutkukkut
१. कुमवेत्सपि पाठः,