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________________ ___ बनारसीविलास. otkutkitttttttatututututuktukutukuttattatutitutitututututetutattakkat titike हिमवत हतसंताप । व्रजव्यापी विगतालाप ॥ पुण्यस्वरूपी पूत । सुखसिंधु स्वयं संभूत ॥ ७ ॥ समयसारश्रुतिधार । अविकलप अजल्पाचार ॥ शांतिकरन धृतशांति । कलरूप मनोहरकान्ति ॥ ७८ ॥ सिंहासनपर आरूढ़ । असमंजसहरन अमूद ॥ लोकजयी हतलोम । कृतकर्मविजय धृतशोभ ॥ ७९ ॥ मृत्युंजय अनजोग । अनुकम्प अशंक असोग ॥ सुविधिरूप सुमतीश । श्रीमान् मनीषाधीश ॥ ८० ॥ विदित विगत अवगाह । कृतकारज रुपअथाह ॥ वर्द्धमान गुणभान । करुणाघरलीलविधान ॥ ८१ ॥ अक्षयनिधान अगाध । हतकलिल निहतअपराध ॥ साविरूप साधक धनी ) महिमा गुणमेरु महामनी (!) ८२ उतपति वैध्रुववान । त्रिपदी त्रिपुंज त्रिविधान ॥ जगजीत जगदाधार । करुणागृह विपतिविदार ॥ ३ ॥ जगसाक्षी वरवीर । गुणगेह महागंभीर ॥ अभिनंदन अभिराम । परमेयी परमोद्दाम ॥ ८४ ॥ दोहा. सगुण विभूती वैभवी, सेमुधीश संबुद्ध ।। सकल विश्वकर्मा अभव, विश्वविलोचन शुद्ध ॥ ८५ ॥ इति दुरितदलननाम नवम शतक ॥ ९ ॥ Fitrketkrt.ketaket-trksket-tet.k.s:kt.kuttitut-t-t.k.kuttrkut.krt.k.kott.ttrket.kekutekt.tit
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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