SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बनारसीविलास. Arketit tetatistitutetext-intukkakrtitutkukkutteket-tetakistakektrkuteketstakut-kukt.kot * उत्पातहरण उद्दामधाम । व्रजनाथ विमक्षर विगतनाम ।। बहुरूपी बहुनामी अनोप । विपहरण विहारी विगतदोषा॥३४॥ छितिनाथ छमावर छमापाल । दुर्गम्य दयार्णव दयामाल | चतुरेश चिदातम चिदानंद । सुखरूप शीलनिधि शीलकन्दा॥३५॥ रसव्यापक राजा नीतिवंत । ऋषिरूप महर्षि महमहंत ॥ परमेश्वर परमऋषि प्रधान । परत्यागी प्रगट प्रतापवान ॥३६ परतक्षपरमसुख करममुद्र । हन्तारि परमगति गुणसमुद्र ॥ सर्वज्ञ सुदर्शन सदावृप्त । शंकर सुवासवासी अलिप्त ॥ ३७॥ शिवसम्पुटवासी सुखनिधान । शिवपंथ शुभंकर शिखावान ॥ असमान अंशधारी अशेष । निर्द्वन्दी निर्जङ निरवशेष ॥३८॥ It.ttitrketekikikikattitutekistratitutitiktatukikuttut.kitiktikarte.kuttrikek.krit दोहा. विस्मयधारी बोधमय, विश्वनाथ विश्वेश। बंधविमोचन वनवत, बुधिनायक विबुधेश ॥ ३९ ॥ इति लोकांत नाम चतुर्थ शतक in छन्दरोडक. महामंत्र मंगलनिधान मलहरन महाजप । मोक्षस्वरूपी मुक्तिनाथ मतिमथन महातप ॥ निस्तरङ्ग निःसङ्ग नियमनायक नंदीसुर। ___महादानि महज्ञानि महाविस्तार महागुर ॥ १० ॥ परिपूरण परजायरूप कमलस्य कमलवत । गुणनिकेत कमलासमूह धरनीश ध्यानरत ॥
SR No.010701
Book TitleBanarasivilas aur Kavi Banarsi ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy