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वनारसीविलास.
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अकथ अकरता अजर अजीत । अवपु अनाकुल विषयांतीत ॥ मंगलकारी मंगलमूल । विद्यासागर विगतदुकूल ॥ १७ ॥ नित्यानन्द विमल निरुजान । धर्मधुरंधर धर्मविधान ।
ध्यानी धामवान धनवान । शीलनिकेतन बोधनिधान ॥ १८॥ | लोकनाथ लीलाघर सिद्ध । कृती कृतास्थ महासमृद्ध ॥ तपसागर तपपुञ्ज अछेद । भवभयभंजन अमृत अभेद ॥१९॥ गुणावास गुणमय गुणदाम | खपरप्रकाशक रमता राम ॥ नवल पुरातन अजित विशाल । गुणनिवास गुणग्रह गुणपाल ॥२०॥
दोहा. लघुरूपी लालचहरन, लोमविदारन वीर।
धेय घराधर धीर ॥ २१ ॥ इति ज्ञानगम्यनाम द्वितीयशतक ॥२॥
__पद्धरिछन्द, चिन्तामणि चिन्मय परम नेम । परिणामी चेतन परमछेम ॥ चिन्मूरति चेता चिद्विलास । चूडामणि चिन्मय चन्द्रमास ॥२२॥ चारित्रधाम चित् चमत्कार । चरनातम रूपी चिदाकार ॥ निर्वाचक निर्मम निराधार । निरजोग निरंजन निराकार ॥२३॥ निरभोग निरास्वव निराहार । नगनरकनिवारी निर्विकार । आतमा अनक्षर अमरजाद । अक्षर अबंध अक्षय अनाद||२४||
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१. 'विपति अतीत' ऐसा भी पाठ है. २ वन. T
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