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चैत्यवंदन सामायिक विधि
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हिन्दी अर्थ सहित
तथा श्रावकका नित्य कृत्य।
॥ अथ नमस्कारमंत्र :: नमो अरिहंताणं ॥१॥ नमो सिहाणं ||२|| नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं ॥४i. नमो लाए सव्वसाहणं ॥२॥ एसोपंच नमुकारो ॥६॥ सव्वपावप्पणासणो ॥७॥ मंगलाणां च सव्वसिं ॥८॥ पढमं हवइ मंगल ॥९॥
अर्थ-बारह गुणों सहित और चार घानि वर्मक हनने वाले ऐसे अरिहन्त भगवान्को (मेरा) नमस्कार हो । आठ कमौका क्षय करके मोक्षमें पहुंचे हुए अर्थात् आठ गुणों से युक्त ऐन सिद्ध भावानको (मेरा) नमस्कार हो । छत्तीस गुणों से संयुक्त ऐमें आचार्य महाराजको (मेरा) नमस्कार हो। पर्चस गुणोंवाले उपाध्याय महाराजको (मेरा) नमस्कार हो । अढ़ाईद्वीप प्रमाण, मनुष्यलोकमें रहे हुए सत्ताईस गुणोंसे शोभित, ऐसे मुनिरानोंको मेरा) नमस्कार हो। ये उपरोक्त पांच (परमेष्ठी) नमस्कार, सर्व पापोंका नाश करने वाले हैं। यह नवकार मंत्र सर्व मंगलोंमें प्रथम मंगल है। . .