________________
५४
कन-धी
काई मनुप्य कुछ नवीनता के माय मुनाता है, तो नापी गुगन में दानन्द आता है, क्योति नुनन म नवीन बात मिल रही है। ममा अर्थ यही है.fr मनुष्य का हदय मदा नवीनना बी योग म रहता है और नवीनना में यह आनन्द या रम का अनुभव करता है।
योग्यता की परीक्षा ज्ञाताधर्मग्था नून में एक ऐमा अपयन आपा, जो रहानी में नहीं है, बल्कि शास्त्र का अग है। एक मेठजी के चार लडो थे। मान और पट लिखकर होशियार होने पर मेठनी ने उनमा यथाममय विचार कर दिया। सभी बहुए अन्छे ठिकानो को थी । पहिले जमाने से मनुष्य स्त्री को गाक्षात लक्ष्मी समझते थे और अपने पुत्र के योग्य लठगी में ही उसका विवाह सम्बन्ध करते थे। आज तो लोग गुणों को नहीं देखकर धन और स्प को देखते हैं। फिर भले ही यह भारुर अपने घर का नीन तेन्ह क्या न कर दे। हा तो सेठजी ने बहुत मोच-विचार करके अन्छे घरानो की योग्य लडमियों के साथ ही अपने पुनो का विवाह कर दिया और घर में सर्व प्रकार में मानन्द छा गया ।
जब सेठ का बुढाया आया तो उसरे मन में विचार आया कि लगे तो मेरे ही जाये हुये हैं और सर्वप्रकार से हैं योग्य अत उनकी ओर से तो मुझे कोई खतरा नहीं है । परन्तु ये जो चारो बहुए हैं, ये भिन्न-भिन्न धरानो मे और भिन्न-भिन्न देशो मे आई है, अन ये मेरे और मेठानी जी के पीछे घर को पैसा चलावेंगी, इसका पता नहीं है । अत. इनकी परीक्षा करके गृहस्थी की व्यवस्था तदनुसार ही करना उचित होगा। क्योकि घर को इज्जत-आवर, मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा स्त्रियो के ऊपर ही निर्भर रहती है। यह विचार करके उसने एक दिन सारी समाज को भोजन के लिए निमत्रण दिया। जव सब लोग खा-पी चुके तो कुछ प्रमुख पचो को सेठ ने अपनी बैठक मे बैठाया । तभी उसने सभी बहुओ को बुलाया । वे हपित होती हुई आई कि आज तो मसुरजी कोई आभूषण देने वाले दिखते हैं । सेठ ने उन्हे शालि-धान्य के पाच-पाच दाने देकर कहा-बहरानियो, देखो-मैं तुम लोगो को ये धान्य के दाने अमानत के रूप मे देता हूँ। तुम लोग इन्हे सभाल करके रखना और जब मैं मागू, तब मुझे वापिस दे देना। वे चारो वहुए उन दानो को लेकर अपने अपने कमरो में चली गई।
अब बडी बहू ने विचार किया कि इन दानो को कहा रखू और कहा सभालू ? और ससुरजी ने कहा ऐसे-जैसे कोई बड़ी कीमती वस्तु हो ?