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प्रवचनमार
धरलेमारी.प्रवर्तक । ..
मुनिका
साधना के पथ पर प्रवचन माला, पुप्प : ४
प्रवचन : १७ पृष्ठ संख्या : ३३६
MARAT
प्लास्टिक कवर युक्त मूल्य : ५) रु० प्रकाशन वर्ष : वि०सं० २०२६
अक्षय तृतीया
साधना का पथ-कांटों की राह है, तलवार की पैनी धार है---इस पथ पर बढ़ने के लिए प्रथम जीवनज्योति को जागृत करना होगा, फिर 'आत्म विकास का मार्ग' मिलेगा, साधना की पृष्ठ भूमि तैयार करनी होगी, सरलता, ऋजुता के बल पर । बात्मा और शरीर का पृथक्त्व-भेदविज्ञान समझना होगा, भेद विज्ञान से ही ध्यान में स्थिर योग आता है, तभी आत्मदर्शन होगा, आत्मद्रष्टा ही वीतराग बन सकता है, वही स्वयं स्वतंत्र होगा और विश्व को स्वतनता का सच्चा संदेश सुना सकेगा---साधना पथ के इन विविध अंगो का सुन्दर, सरल और जैन भागमों के रहस्य से भरा विवेचन इन प्रवचनो में प्राप्त होता है।
इन प्रवचनो को पढ़ने से जीवन का लक्ष्य स्थिर हो जाता है, साधना का पथ वहुत ही सरल और स्पष्ट दीखने लगता है। साधना पथ पर बढने के लिए त्याग, वैराग्य संयम और ध्यान-समाधि की ओर गतिशील होने के लिए इस पुस्तक का पदन-पाठन अत्यत उपयोगी है।
श्री मरुधर केसरी जी महाराज साहब के जोधपुर चातुर्मास में प्रदत्त प्रवचनों का यह दूसरा संकलन है। यह पुस्तक सर्वत्र समादरणीय एवं संग्रहणीय