________________
३१४
प्रवचन-सुधा
हैं, उस घर का नाम सर्व ओर फैलता है। इसलिए आपको अपना उत्तरदायित्व समझना चाहिए और स्वयं शेरनी और कामधेनु बनकर अपनी सन्तान को शेर और कल्प-वृक्ष बनाना चाहिए ।
पवित्र विचारों का प्रभाव पुराने समय की बात है--एक सेठ के घर में चोर धुसा । कुछ आहट पाने से सेठानी की नीद खुल गई 1 उसने वाहिर छत पर जाकर देखा तो एक परछाई-सी दिखी। उसने सोचा कि यदि मैं आवाज करूंगी तो सेठजी की और बच्चों की नींद खुल जावेगी और पता नहीं, ये कितने लोग है और ये कहीं किसी पर आक्रमण कर दे तो आपत्ति आ जाय । जो जाना होचला जायगा। पर किसी पर आपत्ति नहीं आनी चाहिए, यह विचार कर वह वापिस कमरे का द्वार बन्द करके सो गई। कुछ देर बाद सेठ की नींद खली। जैसे ही वे छत पर आये तो देखा कि कोई व्यक्ति नीचे की ओर उतर रहा है । सेठजी समझ गये कि कोई पुरुष चोरी करने के लिए आया है, अत: यह क्यों खाली हाथ जावे, यह विचार कर वे कमरे का द्वार खला छोड़कर ही भीतर जाकर सो गये। सेठजी मन में विचारते रहे कि इस वेचारे के घर में कुछ होगा नहीं तभी तो यह चोरी करने के लिए रात में ऐसे सर्दी के समय आया है। इधर चोर ने सोचा कि सेठ ने मुझे देख लिया है और चोरी कराने के लिए ही इसने कमरे का द्वार खुला छोड़ दिया है, तो मुझे अब इस घर में चोरी नहीं करनी चाहिए। यह सोचकर वह वापिस चला आया। दूसरे दिन सेठ ने देखा कि चोर कुछ भी नहीं ले गया है और खाली हाथ लौट गया है तो उन्होंने मकान का प्रधान द्वार भी रात को खुला छोड़ दिया और तिजोरी का ताला भी बन्द नहीं किया। यथासमय वही चोर चोरी करने के लिए आया। आकर के उसने देखा कि आज तो मकान का द्वार ही खुला हुआ है तो वह भीतर घुसा। दुकान में जाकर देखा कि तिजोरी का ताला भी नहीं लगा हुआ है तो चोर ने सोचा कि मेरे द्वारा चोरी कराने के लिए ही सेठ ने ऐसा किया है। यत. मुझे यहां से चोरी नहीं करना है। वह विचार कर वह आज भी खाली हाथ वापिस चला गया ।
भाइयो, देखो-मानव के पवित्र विचारों में कितनी प्रबल शक्ति होती है कि वह चोरो के हृदय में भी परिवर्तन कर देती है। सवेरे सेठ ने उठकर देखा कि तिजोरी में से कुछ भी रकम नहीं गई है और घर में से भी कोई दूसरा माल नहीं गया है, तद वह बहुत विस्मित हुआ कि चोर तो घर में आया है, क्योंकि गादी पर उसके पैर के निशान स्पष्ट दिख रहे हैं। परन्तु फिर भी