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सफलता का मूलमंत्रः आस्था
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आस्था का अर्थ भाइयो, आस्था नाम श्रद्धा, निष्ठा, दृढ़प्रतीति या विश्वास का है। आस्था के पूर्व मनुष्य को यह ज्ञान होना आवश्यक है कि यह वस्तु मेरे लिए हितकारी है, या नहीं ? संसार में चार प्रकार की वस्तुएं होती हैं---एक तो वह जो अच्छी तो है, पर अपने काम की नहीं है। दूसरी वह जो अपने काम की है, पर अच्छी नहीं है। तीसरी वह जो अच्छी भी है और काम की भी है और चौथी वह जो न अच्छी है और न अपने काम की ही है। जैसे---साधु के पात्र आदि उपकरण अच्छे हैं, पर गृहस्थ के काम के नहीं हैं। इसी प्रकार गृहस्थ के वाग-बगीचे और जर-जेवर अच्छे तो हैं किन्तु साधु के लिए वे काम के नहीं है। जिसकी प्रकृति उष्ण है, उसके लिए केशर-कस्तूरी अच्छी होते हुए भी काम की नही हैं । दही, मक्खन, मिश्री आदि अच्छे होते हुए भी वातप्रकृति वाले के लिए काम के नहीं है। दूसरी वस्तु अपने काम की तो है, परन्तु अच्छी नहीं है। जैसे-नीम के पत्ते, गिलोय और चिरायता आदि काम के तो हैं, क्योंकि ये ज्वरादि को दूर करते हैं, परन्तु कडुए होने से अच्छे नहीं हैं। तीसरी वस्तु ऐसी है जो काम की भी है और अच्छी भी है। जैसे-भूखे व्यक्ति के लिए मनचाहा भोजन और शीत से पीड़ित के लिए गरम कपड़े । चौथी वस्तु ऐसी है जो अच्छी भी नहीं है और काम की भी नहीं है । जैसे--- जहर । अब इन चार प्रकार की चीजों में से हमारे लिए कौन सी वस्तु उप
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