________________
२२
मनुष्य की चार श्रेणियां
भाइयो, मनुप्य चार प्रकार के होते हैं-एक उदार, दूसरे अनुदार, तीसरे सरदार और चौथे मुर्दार । उदार नाम विशालता का है। विशाल-हृदय वाला उदार व्यक्ति जहां भी जाकर खड़ा होता है, बैठता है, अथवा किसी भी कार्य को करता है, सर्वत्र उसकी उदारता समान रूप से प्रवर्तित रहती है । वह किसी को दुखी नहीं देख सकता है, वह पर के दुःख को अपना ही दुख मानता है और इसीलिए उसके दुःख को तत्काल दूर करने का प्रयत्न करता है। वह दूसरे के कार्य को अपना ही कार्य समझता है। यदि किसी का कोई कार्य विगड़ता हुआ देखता है, तो वह बिना कहे ही उसे सुधारने का प्रयत्न करता है । वह विना किसी के याचना किये ही दूसरे की सहायता करता है । उसकी सदा यही भावना रहती है कि
सर्वेऽपि सुखिनः सन्तु, सन्तु सर्वे निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिदुःखभाक् भवेत् ।। संसार के समस्त प्राणी सुखी हों, सभी निरोग रहे, और सभी आनन्द को प्राप्त हों। किन्तु कोई भी प्राणी दुख को प्राप्त न हो 1 कितनी ऊंची भावना है उदार व्यक्ति की, जो स्वप्न में भी किसी भी प्राणी को दुखी नहीं देखना चाहता है । और सबके कल्याण की, सुखी और निरोग रहने की भावना रखता है । इसीलिए तो कहा गया है कि
२४४