________________
नमस्कारमंत्र का प्रभाव
'ओली' यह शब्द आवली का अपन्न श स्प ह । आवली, पक्ति, श्रेणी और पन्-पग ये मन एकार्थवाचन शब्द हैं। मनातन कहे जानेवाले दिक धर्म मे ओली का प्रारम्भ आमोजपुदी १ ये होता है, इसी को नवगत्रिका प्रारम्भ कहते हैं । किन्तु जैन सम्प्रदाय म इन नवरात्रिका प्रारम्भ आयोजमुदी ७ ने होता है। जैन धर्म और वैदिक धमर दो मिन-भिन्न ही धर्म है। वैदिक धर्म को ही हिन्दु धर्म कहा जाने लगा। जव मुसलमान पश्चिम की ओर से मिन्धु पर आने, तब उन्होंने इसका नाम पूछा। वहा पर कोई मारवाडौं खडा था ! मन नदी का नाम हिन्दु बनाना । क्याकि मारबाड में आज भी 'म' को है वो है । जैन'मत्तरह' को 'इतन्ह और 'सोजत' को 'होजत' कहते हैं। मगर मिन्यु का नाम 'हिन्दु' बोना जान लगा और उसके इस ओर के ममम्त प्रदेश को हिन्दुस्तान । इमी प्रकार हिन्दुम्नान म रहनेवालो के धर्म या हिन्द धर्म कहा जाने लगा ? मे इस देश का प्राचीन नाम भारत वर्ष एव आर्यावर्त है। म देश मे मुत्र रूप में छह दर्शन या मत प्रचलित रहे है-- बौद्र, नयाधिक, मानन्ध, मीमामा जैन और चार्वाक । उनमे जनदर्शन एक बनान दान है। इसका तत्व-विवेचन एव पर्व-मान्यता मादि ममी वार्ते अन्य मतो माया निन है। जैन मतावलम्बियो के दीपावली, अक्षयतृतीया, नजान गदि पों का आधार भी हिन्दुधर्म न नर्वया मिन है।