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प्रवचन-सुधा
भाइयो, यह कथानक कहने का अभिप्राय यही है कि मनुष्य के सामने कैसी भी विकट परिस्थितियां क्यों न आवे, परन्तु अपने उद्देश्य पर मनुष्य को दृढ़ रहना चाहिए और आनेवाले संकटों का दृढता से सामना करना चाहिए । यदि अपने हृदय को वज्र के समान दृढ़ और कठोर बनाकर रखेंगे तो आने वाली विपदाएँ और समस्याएं टकरा करके स्वयं ही चकनाचूर हो जावेगी। देखो-प्रत्येक वर्ण वाले में एक एक कपाय के उदय की प्रवलता होती है । क्षत्रियो में क्रोध की मात्रा अधिक देखी जाती है, ब्राह्मणों और साधु-सन्तों में अभिमान का भाव अधिक दिखता है। शुद्रों में और मूखों में मायाचार की प्रबलता होती है और वैश्यों में लोभ की अधिकता होती है । सारी दुनिया के लोभ का ठेका मानो महाजनों ने ही ले रखा है। उनके लोभ का अन्त नहीं है । भगवान ने ठीक ही कहा -
जहा लाहो तहा लोहो लाहा लोहो पवड्ढई । अर्थात् मनुष्य को ज्यों ज्यों धन का लाभ होता है, त्यों त्यों उसके लोभ बढ़ता जाता है। कपिल मुनि का दृप्टान्त आप लोगों ने सुना ही है । जैसे समुद्र नदियों से और अग्नि इन्धन से कभी तप्त नहीं होती है, उसी प्रकार मनुष्य की तृष्णा कभी धन से पूरी नहीं होती है। लोभ के क्षोभ नही है । हजारों की जब पूजी थी, तब लाख की चाह थी और जब लाख हो गये तव करोडों की तष्णा पैदा हो गई । आज सातोप या सन्न किसी को भी नहीं है। पहिले महाजन अपने कुल-परम्परा के और धर्माविरोधी ही धन्धे करते थे। आज तो जैनी कहलाने वाले लोग भी छोपा, रगरेज के काम करने लगे हैं और बम्बई में तो एक बहुत बड़े जैन सेठ ने जूतों तक का भी कारखाना खोल लिया है। मेरठ मे एक जैन ने लाड़ी (धोबीखाना) खोल रखा है और इसी प्रकार के महारम्भ और हिंसा के अनेक काम जैनी लोग करने लगे हैं । धन के लोभ से मनुष्य को योग्य-अयोग्य धन्धे का विचार नही रहा है। पढ़ने के बाद यदि मरकारी कुर्सी मिल जाती है तो अभिमान का पार नहीं रहता है । वे समझने लगते हैं कि अपराधी को मारना और जिलाना मेरे हाथ में है। जिसका कोई मुकद्दमा अदालत में होता है और वह जज से प्रार्थना करता है तो माहते है कि घर पर आकर मिलो। घर पर मिलने का अर्थ माप लोग जानते ही हैं । घर पर मिल लेने के बाद फिर न्याय का काम नहीं, मर्जी का. काम रह जाना है ! भाई, कही तो इस लोभ के घोड़े को दौड़ने से रोको, या दोड़ाते ही रहोगे ? आखिर एकना पड़ेगा ही जब टागें थक जायगी मौर शरीर रट जायगा तब फिर घोदे पर से उतरना तुम्हारे वश का रोग नहीं रखेगा। फिर तो गरे ही नीचे उतारेंगे। जब तक घोड़ा ये-काबू नही हुआ है