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________________ १६ महावीर निर्वाण-दिवस शाइयो, आज भगवान महावीर का निर्वाण-दिवस है। भगवान ने बारह वर्ष की कठिन साधना करने के पश्चात् चार पातिकर्मो का नाश कर केवल ज्ञान प्राप्त किया था। तत्पश्चात् लगातार ३० वर्ष तक सारे भारतवर्ष में भ्रमण कर धर्म का उपदेश दिया था। तदनन्तर अपने अन्तिम चौमासे में भगवान् अपापा नगरी पधारे और श्री हस्तिपाल राजा की दानशाला में ठहरे। यहीं पर आपने अपना अन्तिम उपदेश दिया। आज कार्तिक कृाणा अमावस्या की रात्रि के अन्तिम पहर में स्वातिनक्षत्र के समय योग-निरोधकर चौदहवां गुणस्थान प्राप्त कर और शेष चार अधातिकर्मो का क्षय करते हुए मोक्ष प्राप्त किया और सदा के लिए शिवलोक के निवासी बनकर सिद्धालय में जाकर विराजमान हो गये। पुरुषार्थ की पूर्णता पुरुप के चार पुरुपार्थ बताये गये हैं। उनमें मोक्ष यह अन्तिम और सर्व श्रेष्ठ पुरुपार्थ है। जब तक यह प्राप्त नहीं होता है, तब तक मनुष्य का पुरुषार्य पूर्ण हुआ नहीं समझा जाता है। जैसे कि किसी सुन्दर मन्दिर के बन जाने पर भी जब तक उसकी शिखर पर कलश नहीं चढ़ाया जाता है, तब तक बह पूज्य एवं पूर्ण नहीं माना जाता है। अथवा जैसे किसी राजा के सर्व वस्त्राभरणों से भूपित हो जाने पर भी जब तक वह शिर पर मुकुट नहीं धारण करता है, तब तक शोभा नहीं पाता है। इसी प्रकार भगवान महावीर १७१
SR No.010688
Book TitlePravachan Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMishrimalmuni
PublisherMarudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
Publication Year
Total Pages414
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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