________________
१३२
प्रवचन-सुधा मैं एक गांव में पारकर फाउन्टेन पेन से लिख रहा था। प्रसग-वश श्री हजारीमल जी स्वामी से बात करने के लिए उम पेन को वही छोडकर चला गया। जब वापिस आया तो देखा, पारकर तो पार होगया । छान-वीन की,तो पता चला कि एक बावरी जाति का व्यक्ति साधु बना लिया गया था । किसी सत ने अपनी शिप्य संख्या बढाने के लिए बिना कोई परीक्षा किये उसे मूड लिया, चादर उडा दी और ओघा-पात्रा दे दिया। एक-दो दिन तक उस पर दृष्टि रखी तो ज्ञात हुआ कि इसी ने वह पारकर फाउन्टेन पेन पार कर दिया है। मैंने कहा- अरे बावरी अभी तक भी तेरी जाति का असर नही गया है ? वह चोला - हा, महाराज, मैं तो वावरी हू । भाई, कोई व्यक्ति किसी भी वेप को धारण कर ले, परन्तु जाति का असर मिटना कठिन है। अरे, जिसने मन को शुद्ध नहीं किया, उमको कोरे घर छोड़ने मे क्या लाभ हो सकता है। वैसे त्याग उत्तम वस्तु है, उस पर जब शुद्ध मन से अमल किया जाय अन्यथा सव व्यर्थ है। आपके पास केशर की पुडिया है, किन्तु वह कीचड मे गिर पड़ी तो बह लेने के योग्य नहीं रही इस प्रकार केशर की वर्वादी हुई। इसी प्रकार त्याग, ब्रत आदि उत्तम हैं, परन्तु वे जब कुपात्रो के पास पहुचे तो त्यागी व्रती लोगों की महिमा घट गई। वे ही त्याग व्रत जव सुपात्र से पास पहुचते है, तो उनका महत्व बढ़ जाता है। सूत्र (धागा) माधारण वस्तु है, किन्तु वही फूलो मे पिरोया जाकर राजा-महाराजाओ का गले का हार बन कर शोभा पाता है। छोटी भी प्रस्तु सुपात्र के ससर्ग से महत्व को प्राप्त कर लेती है। योग्य स्थान से व्यक्ति का महत्व बढता है और स्थान का उल्लधन करने से उसका महत्व घट जाता है।
समभावी-गुणानुरागी समभाव में रहने वाला व्यक्ति अपनी श्रद्धा से अलग नही होता है। वह जहा भी जाता है, वहा पर नवीन वस्तु को देखता है और उस पर विचार करता है, उसके गुण-दोपो की छानबीन करता है और निर्णय करता है कि मेरी जो वीतराग देव पर, निन्य साधु पर और हिसामयी दया धर्म पर जो श्रद्धा है, वह सर्वथा योग्य है। अब मुझे अन्यत्र जाने की क्या आवश्यकता है। मेरे सभी उद्देश्य की पूर्ति इन देव, गुरु और धर्म के प्रसाद से ही होगी, ऐसा उसके हृदय मे हृढश्रद्धान होता है अत उसका चित्त किसी भी पर वस्तु के वाह्य प्रलोभन से प्रलोभित नहीं होता है। यह ससार का स्वभाव है कि मनुष्य को नवीन वस्तु प्रिय लगती है। कहा भी है कि 'लोको भिनवप्रिय.' अर्थात् लोगो को नवीन वस्तु प्यारी लगती है। परन्तु पर