________________
प्रवचन-सुधा
चमत्कार देख वे पंडे उनके पैरों में गिर पड़े और बोले स्वामी जी, हमने आपको पहचाना नहीं था, हमें क्षमा करो । भाई, समय आने पर वे संत महात्मा लच्छि को प्रकट भी कर देते थे और पीछे प्रायश्चित्त लेकर अपनी शुद्धि भी कर लेते थे । सहनशील पुरुष अपने को और समाज को भी बचाता है और धर्म का गौरव भी बढ़ाता है। अत: हम सबको सहनशील होना चाहिए। वि० सं० २०२७ कार्तिक वदि ७
जोधपुर