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स्तवनावली।
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ANANAwaal
स्तवन अहावीशमुं।
|| राग ध्रुपद ॥ आई इंड नार ॥ देशी॥ सव करम जार, जिन सरन धार, तुम नाम सार, नवी सरत कार, अनुन्नव आधार, समयतरस नीनो ॥ स० ॥१॥ नवोदधि अपार, करतार तार, जग सत्थवाह, सब जग आधार, तूंही पास नाथ अजरामर कीनो॥ स॥ २॥ सब मेट सोग, सब विषय नोग, कर आज योग, मिटे मनका रोग, तुम नाम लेत मोह जट जय कोना ॥ स० ॥३॥ मम सयाँ काम, तुम चरन पाम, तुम धर्यो ध्यान, गयो पाप नाम, यातम आनंद दरसन कर लीनो ॥ स ॥ ४ ॥
- स्तवन ओगणत्रीशमुं।
॥राग प्रभाति ॥ थोमीसी जिंदगी सुपनसी माया, इनमें क्यों
मुरकायाहे रे ॥ यो ॥ टेक ॥ तन धन जोवन उिनकमें विनसे, जिस पर मन रिफायाहे रे ॥ थो॥ १॥ गरव चार जगमें न समाते, बादर जिम बिरलायाहे रे ॥ थो० ॥