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________________ ६० श्रीमद्विजययानंदसूरि कृतपाप निचोर ॥ पास प्रजु० ॥१॥ तुं मनमोहन चिदघन स्वामीरे, साहेब चंद चकोरं ॥ पास प्रनु० ॥२॥ त्यूं मन विकसे नविजन केरारे, फारेगा कर्म हीमोर ॥ पास प्रनु ॥३॥ तुं मुज सुनेगा दिलकी बातारे, तारोगे नाथ खरोर ॥ पास प्रजु ॥४॥ तुं मुज आतम आनंद दा· तारे, ध्याता हुं तुमेरा किशोर ॥ पास प्रजु० ॥५॥ इति ॥ __ स्तवन तेरमुं। ॥ राग पंजाबी ठेकानी ठुमरी ॥ तोरी बबी मनोहारी; शंखेश स्याम; नीलांबुजवत तोरे नैन स्याम । तोरी ॥ आंचली ॥ चंड ज्यूं वदन जगत तम नासे, चरण कमल पंक पखारे नाम ॥ तोरी० ॥१॥ नीलवरण तनु जवि मन मोहे, सोहे विजुवन करुणा धाम ॥ तोरी ॥२॥पारस पारस सम करे जनको, हाटक करन तुमरो काम ॥ तोरी० ॥ ३ ॥ अजर अखंमित मंमित निज गुन, ईश निजीत पूरे काम ॥ तोरी० ॥ ४ ॥ अनघ अमल अज चिद घन रासी, आनंद घन प्रजु श्रातमराम ॥ तोरी० ॥५॥
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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