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________________ अप्रकारी पूजा। २७? फलपूजाना फलथकी, कोमि होय कल्याण । अमर वधू उलट धरी, तस धरे चित्तमां ध्यान ॥२॥ ढाल सातमी। (विढलीनी देशी) फल पूजा करो फलकामी. अभिनव प्रन्तु पुण्ये पामी हो । प्राणी जिन पूजो । श्रीफल अखोम बदाम, सीताफल दामिम नाम हो प्राण ॥ १ ॥ जमरूख तरवुज केलां, निमजां कोहलां करों नेलां हो प्रा० ॥ पीस्तां फनस नारंग, पूगी चूयफल घणुं चंग हो प्रा० ॥ २ ॥ खरवृज जाख अंजीर, अन्नास रायण जंबीर हो प्राण ॥ मिष्ट लिंबु ने अंगुर, शिंगोमा टेटी बीजपूर हो प्राण ॥ ३ ॥ एम जे जे विषय लहंत, ते ते जिन नवने ढोयंत हो प्रा० ॥ अनुपम थाल विशाल, तेहमां नरीने सुरसाल हो प्राण ॥ ४॥ फलपूजा करे जे जावे, ते शिव रमणी सुख पावे हो प्रा॥ दुर्गता नारी जेम लहे. कीर युगल वली तेम हो प्रा० ॥ ५॥ SOLMER
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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