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________________ २५२ ww श्रीयशोविजयोपाध्याय कृत- w लंबन वज्र श्री धर्मनाथ जिन स्तवन । रतनपुरी नयरी हुरे लाल, उदार मेरे प्यारेरे । जानु नृपति कुल केसरीरे | लाल, सुव्रता मात मल्हार || मेरे प्यारेरे धर्म जिनेसर ध्याइयेरे लाल ॥ १ ॥ आयु वरष दश लाखनुंरे लाल, धनु पणयाल प्रसिद्ध | मे० । कंचन वरण विराजतोरे लाल, सहस साथै व्रत लीध ॥ ० ० ॥ २ ॥ सिद्धिकामिनी करग्रहेरे लाल, समेत शिखर प्रतिरंग | मे० । सहस चोसव सोहामणारे लाल, प्रभुना साधु अनंग ॥ ॥ मे० ध० ॥ ३ ॥ बासठ सहस सुसादुणी रे लाल, वली उपरि सत चार । मे० | कंदर्पा शासनसुरीरे लाल, किन्नर सुर सुविचार ॥ मे० ध० ॥ ४ ॥ लटकाले तुज लोणेरे लाल, मोह्या जगजन चित्त । मे० । श्रीनयविजय विबुधतणोरे लाल, सेवक समरे नित्त ॥ मे० ध० ॥ ५ ॥ I | 1 श्री शांतिनाथ जिन स्तवन । ( त्रिभुवन तारण तीरथ, ए देशी ) गजपुर नयर विभूषण, डूषण टालतोरे के चालतोरे के डूषण | विश्वसेन नरनाहनुं कुल
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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