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________________ चोविशी। २४९ तुज जश गावतांजी, पवित्र करे निज जीहरे ॥ जि तु० ॥ ५ ॥ श्रीश्रेयांसनाथ जिन स्तवन । ___ (नयरी अयोध्या जयवतीरे, ए देशी) सिंहपुरी नयरी जलीरे, विष्णु नृपति जस तात । माता विष्णु महासतीरे, लीजे नाम प्रजातोरे । जिन गुण गाए ॥ १।। श्रीश्रेयांस जिनेसरुरे, कनक वरण शुचि काय । लाख चोराशी वरपनुरे, पाले प्रज्जु निज आयोरे ॥ जि ॥२॥ एक सहसश्युं व्रत लीयरे, असिय धनुष तनु मान । खम्गी लंबन शिव लहेंरे, समेतशिखर शुन्न ध्यानरे ॥ जि० ॥ ३॥ सहस चोराशी मुनिवरारे, त्रण सहस लख एक । प्रजुजीनी वर साहुजीरे, अदजुत विनय विवेकरे॥जि० ॥४॥ सुर मनुजेश्वर मानवीरे, सेवे पय अरविंद । श्रीनय विजय सुशीशनेरे, ए पजु सुरतरु कंदरे । जि० ॥ ५॥ श्रीवासुपूज्य जिन स्तवन । (ऋपभना वंग रयणायरु, ए देशी ) श्रीवसुपूज्य नरेसरु, तात जया जस मातारे।
SR No.010687
Book TitleAtmanand Stavanavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKarpurvijay
PublisherBabu Saremal Surana
Publication Year1917
Total Pages311
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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