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श्रीयशोविजयोपाध्याय कृत
जिम धाम ललना || वि० ॥ १ ॥ कुंजर चित्त रेवा वसे, कमला मन गोविंद ल० । गौरी मन शंकर वसे, कुमुदिनी मन जिम चंद ल० || वि० ॥ २ ॥ अलि मन विकसित मालती, कमलिनी चित्त दिद ल० | वाचक जशने वालहो, तिम श्री - विमल जिणंद ल० || वि० ॥ ३ ॥
श्री अनंत जिन स्तवन । ( ढाल रायादानी )
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श्री अनंत जिन सेवियेंरे लाल, मोहनवल्ली कंद | मन मोहनां । जे सेव्यो शिव सुख दियेरे लाल, टाले जव जय फंद ॥ श्री० ॥ म० ॥ १ ॥ मुख मटके जग मोहिरे लाल, रूप रंग प्रति चंग || म० ॥ लोचन अति णीयालमांरे लाल, वाणी गंग तरंग ॥ श्री० ॥ म० ॥ २ ॥ गुण संघला गे वस्यारे लाल, दोष गया सवि दूर ॥ म० ॥ वाचक जरा कहे सुख लहरे लाल, देखी प्रभु मुख नूर || श्री० ॥ म० ॥ ३ ॥
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श्री धर्मनाथ जिन स्तवन ।
( राग मल्हार ) धरमनाथ तुज सरखो, साहिब शिर थकेरे