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२०२ श्रीमदुदयरत्नजी कृतसुंदर जेहनो रूप सोहे, सोवन वानेरे ॥ न॥१॥ वेण ताहरा हुं सुणवा रसीओ, एक तानेरे । नेण माहरा रह्यांडे तरसी, निरखवानरे । न॥२॥ एक पलक जो रहस्य पामुं, कोश्क थानेरे। हुं तुं अंतरमें हली मद्रु, अनेद ज्ञानेरे॥न॥३॥आठ पहोर हूं तुज आराधुं, गावं गानेरे । उदयरत्न प्रनु निहाल कीजे, बोधि दानेरे ॥ न ॥४॥
श्रीनेमिनाथ जिन गीत। बोल बोलरे प्रीतम मुजणुं बोल, मेल आंटोरे । पगले पगले पीके मुजने, प्रेमनो कांटोरे ॥ वो ॥ १ ॥ राजेमती कहे बोम बबीला, मननो गांगरे । जिहां गांगे तिहां रस नही जिम, शेलमी सांगेरे॥ बो॥२॥ नव नवनो मुने आपने नेमजी, नेहनो आंटोरे । धोयो किम धोवाय जादवजी, प्रीतनो गंटोरे॥वो ॥३॥ नेम राजुल वे मुगति पोहतां, विरह नागरे । उदयरत्न कहे आपने स्वामी, नवनो कांगेरे ॥ वो ॥ ४ ॥
• श्रीपार्श्व जिन गीत । चाल चालरे कुमर चाल ताहरी, चाल गमेरे।