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श्रीमद्वीरविजयोपाध्याय कृत
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॥ सा० ॥ कीजीये सेवक सार वार करो माहरी हो राज || वा० ॥ सा० ॥ ५ ॥ अब तुम चरणे आइने हो राज || सा० ॥ जव जव संचित पाप, करम दल काटसां हो राज ॥ क०॥ सा० ॥ ६ ॥ धन धन मरुदेवी मातने होराज ॥ सा० ॥ नाजिराय कुलहंस, वंस इक्ष्वागनो हो राज || वं० ॥ सा० || || सेवक दुःखियो देखीने हो राज ॥ सा० ॥ मनमें आणी महेर, जवोदधि तारिये हो राज ॥ ज० ॥ सा० ॥ ८ ॥ तम लक्ष्मी दिजिये हो राज ॥ ॥ सा० ॥ वीर विजयने याज, काज सरे माहरो हो राज || का० ॥ सा० ॥ ए ॥
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॥ श्रीगीरनारमण नेमनाथ जिन स्तवन ॥
में आज दरिस पाया, श्री नेमनाथ जिनराया ॥ में० ॥ त्र्यकणी || प्रभु शिवादेवीना जाया, प्रभु समुद्रविजय कुल आया, करमोके फंद ठोकाया, ब्रह्मचारी नाम धराया, जिने तोमी जगतकी माया ॥ जि० ॥ में० ॥ १ ॥ रेवतगिरि मंकण राया, कल्याणक तिन सोहाया, दिक्षा केवल शिवराया, जगतारक विरुद धराया, तुम