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तीयस्य डि त्सूपसंख्यानम्
'अनन्तरं बायोंगोप संख्यानयो: '2 इस सूत्र के भाष्य पर 'वा प्रकरणे तीयस्य डि त्सुपसंख्यानम्' यह वार्तिक पढ़ा गया है । यह वार्तिक 'ती' प्रत्ययान्त को 'डित्' प्रत्यय परे रहते सर्वनाम संज्ञा का विकल्प करता है संज्ञा विकल्प के तत्प्रयुक्त कार्यों का भी विकल्प सिद्ध होता है। द्वितीयस्मै, द्वितीयाय, तृतीयस्मै, तृतीयाय ये प्रयोग हैं । 'देस्तीयः 'त्रै सम्प्रसारण च५ इन सूत्रों से दि, तु, शब्द से 'ती' प्रत्यय होता है । यहाँ सर्वनाम संज्ञा की प्राप्ति नहीं है । वार्तिक अप्राप्त विभाषा है। इस वार्तिक से ही संज्ञा की सिद्धि हो जाने पर 'विभाषाद्वितीयातृतीयाभ्याम्" इस सूत्र को करने की
आवश्यकता नहीं है। इसी वार्तिक से ही उक्त सूत्र प्रयुक्त कार्य की सिद्धि
हो जाती है। द्वितीयस्यै, ततीयस्यै, द्वितीयाय, तृतीयायै ये प्रयोग उक्त सूत्र
1. लघु सिद्धान्त को मुदी, अजन्त पुल्लिङ्ग प्रकरणम्, पृष्ठ 15।. 2. अटाध्यायी ।/1/36. 3. वही, 5/2/54. 4. वही, 5/2/55. 5. वही, 6/3/115.