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निवेदन
लगभग छह वर्ष पहले मैंने रवि बाबूके पाँचों गल्प-गुच्छोंका आद्यन्त पाठ किया था। उस समय मुझे जो जो आख्यायिकायें बहुत ही अच्छी मालूम हुई थीं, जो बहुत ही भावपूर्ण, मार्मिक, और मनोमुग्धकर जान पड़ी थीं, उनपर मैंने निशान लगा दिये थे। इस कथाकुञ्जमें उन्हीं चुनी हुई कथाओं से नौ कथाओंका अनुवाद प्रकाशित किया जाता है । जहाँ तक मैं जानता हूँ, अभी तक ये कथायें हिन्दीमें प्रकाशित नहीं हुई हैं। ___ इनमें से प्रारम्भकी छह कथाओंका अनुवाद स्वयं मैंने किया है और शेष तीनका मेरे सहृदय और सुलेखक मित्र बाबू रामचन्द्र वर्माने । इस बातका पूरा पूरा प्रयत्न किया गया है कि अनुवाद मूलके सर्वथा अनुरूप हो और मूलके भाव अविकृत रूपमें प्रकाशित हों। ___ इन कथाओंका चुनाव एक विशेष दृष्टिसे किया गया है । सहृदय और काव्यमर्मज्ञ पाठक देखेंगे कि इसमेंकी प्रत्येक कथा एक एक छोटा-सा गद्य-काव्य है जो काव्यके उत्तमोत्तम गुणोंसे परिपूर्ण है। इन गद्य-काव्योंमें न उपमा उत्प्रेक्षादि अर्थालङ्कारोंकी कमी है और न शब्द-सौन्दर्यका ही अभाव है। शृङ्गार, हास्य, करुणादि रसोंका भी इनमें स्थान स्थानपर यथेष्ट परिपाक हुआ है।
मुझे आशा है कि हिन्दी संसारमें इन कथाओंका अच्छा आदर होगा और इनमें साहित्यसेवी सुजनोंको अपनी प्रतिभा विकसित करनेके लिए यथेष्ट सामग्री मिलेगी। २०-१२ -१९२५
नाथूराम प्रेमी