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अध्यापक
कालिजमें अपने सहपाठियों में मेरा कुछ विशेष सम्मान था। सभी लोग सभी विषयोंमें मुझे कुछ अधिक समझदार समझा करते थे । इसका प्रधान कारण यह था कि चाहे सही हो और चाहे गलत, पर सभी विषयों में मेरा कुछ न कुछ मत हुया करता था। 'अधिकांश लोग ऐसे ही होते हैं जो किसी विषयमें जोर देकर हाँ या नहीं नहीं कह सकते । पर मैं हाँ या नहीं करना बहुत अच्छी तरह जानता था ।
केवल यही बात नहीं थी कि प्रत्येक विषयमें मेरी कुछ न कुछ सम्मति या असम्मति हुआ करती थी; बल्कि मैं स्वयं कुछ रचना भी किया करता था; वक्तृता दिया करता था ; कविता लिखा करता