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________________ ( १) गोवाळनो छोकरो वकरां तथा | दीवो घीवडे धरने प्रकाशशे. वकरीओने पाळशे. | शुद्ध वचन व्याकरण विना थशे राजानो कुमार वे स्त्रीओने ग्रहण _ नहि. करशे. | (ते) घरमां वे पुस्तकोने मूकशे. मूर्ख माणस साधुना बोलवा (वचन) | (९) गाममां लक्ष्मीने मूकीश. थकी हसशे. (हं) ब्राह्मणोनी साथ खीर जमीश. . वे धडाओ फूटशे. योगी स्त्रीचं मोढुं जोशे नहि. (ते) गामना चोकमां छोकराओ वाणीओ आजे पी वेचशे. साथे रमशे. | त्रिभुवन शरम विना भगवान पासे राजाओ न्यायथी प्रजाने वश करशेः नाचशे. (ते) भगवानने देखशे. मणिलाल गुरुना पूजन विना खाशे हे भाइ ! तमे आसन उपर वेसशो! नहि. साधुओ देवपणानो अनुभव करशे. | सूर्यना तापथी वृक्षो सूकाशे. (d) निशाळमां व्याकरण भणशे.. चन्द्रनीचन्द्रिकायी लोको सुखी थशे. (इं) साधुओना उपदेशने सांभळीश. | लोको सांकळोथी पाडाओने (हणशे) (अमे) वे पिताना मृत्युथी रोइशं. • मारशे. (तेओ) वे साधुना पूजन माटे | सिंहो भोजनने माटे हरणोने मारशे. गाममां जशे. | माणसो हरगोविन्दनो विश्वास कम्शेः इंधणाओथी अग्नि संतप्त थशे. | केरीओ अने केळां वैशाख मासमां राजा वे चोरोने तलवारथी मारशे. मळशे. केटलाएक सवालो. १ शस्तन, अद्यतन तथा परोक्षमां भेद वतावो ?. २ वस्तन. भविष्य तथा अद्यतन भविष्यमा शो तफावत ?, ३ वर्तमान काळना वीजा अने त्रीजा पुरुषना प्रत्ययोमा अने भविष्य
SR No.010661
Book TitlePrakrit Margopdeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1919
Total Pages195
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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