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(६५) णा' ना योगमा 'सहि शब्दने द्वितीया विभक्ति कया नियमथी
आवी, ते नियम लखो. ९ "मणिलाल एक दिवसमां त्रण वार महावीरने पूजेछे, हरगोविन्द
एक दिवसमां चार वार जमेछ, जयचंद रातमां पांच वार उठेछे"
आ वाक्योन शुद्ध प्राकृत करो. १० मोरउल्ला, इहरा, अप्पणो, पाडिएक्क, सह, अपि आटला अन्ययो
लगाडीने जुदा जुदा वाक्यो प्राकृतमां वनावो. ११ हासेण व, कोहेण व, लोहेण व, भयेण व, मोसा माई बोल्ल ।
इत्थी सामि, पुत्तं, नणय, अम्वं च दुक्ख दे । अरिहन्तं विणा दुइओ धम्मसारही नथि। '
दिवसे दिवसे लक्वं
देइ सुवण्णस्स माणवो एगो। एगो पुण सामाइअं
करेइ न पहुप्पए तस्स (तस्य) ॥१॥ आ वाक्योनो अर्थ गुजरातीमां, तथा आ वाक्योमाथी जे कोइ
रूपो महेताजी तमने साधवा आपे ते साधी आपो. १२ कोई पण दश क्रियापदो मोढे वोली जाओ.
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पाठ १४ मो.
भूतकाल. भूतकाल घण प्रकारनो के-अद्यतन, हास्तन अने परोक्ष. सामान्य रोते गइ रातना वार वाग्याथी मांडीने तेनी पछीनी रातना चार वाग्या सुधीनो काळ " अद्यतन " कहचाय छे, तेटला कालनी अंदर गयेल काळमां को क्रिया थइ गई' पम कहेधु होय तो अद्यतन aanRRINEERTANT ENETी Intो सी