________________
(१३७ ) जीवोना रक्षणमाटे घरमां माणसो । पाठशालामा रहेता सवळा छात्रोने
चंदवा वांधेछे. हुं भाइ तुल्य मार्नुछु.. कूतरानो पडछायो पाणिमां पडेछे | जीवराज नामना मारा पिताए, मने
अने तेथी ते भसेछे.. केटलीएक सारी क्रियाओ करस्नेहथी पतंग दीवामां पडीने वामाटे वालपणमां शिखयु.
मरेछे.
उत्तमा नामनी मारी माताए मने हुँ संसारना पासथी क्यारे छूटीश.
घणा स्नेहथी पोते कष्ट सहीने
पण मोटो को. हुं हर्षचन्द्र अने भगवान नामना
जगजीवन (ण) नामना शिक्षके मने मारा वे मोटा बंधुओने सदा
. भापानुं ज्ञान आप्यु. प्रणमीश.
विनयधर्म सूरि नामना गुरुए मने मारो नानो सहोदर झवेर आज
__सर्वत्र सुखने आफ्नार धर्मने काल अभ्यास करेछे.
शिखडाव्यो. हरगोविन्द त्रिभुवन-मणिलाल
| हुँ तेओ सघळानो उपकार कदी जयचंद अने पानाचंद नामना
पण भूलीश नहि. ___ मारा सवळा मित्रो मने प्रत्येक | ई सघळाने प्राथुछ के आ पुस्तक
धर्मकार्यमां याद करशे तथा प्रेरशे. भणवाना समये सौए हंस मारा उपर दलीचन्द प्रीतिवाळो
तुल्य थर्बु जोइए. विद्यार्थी छे. सज्जनो मारा उपर प्रसन्न थाओ.
पाठ ३० मो. संस्कृत (शब्दो) उपरथी प्राकृत (शब्दो) बनाववाना
सामान्य नियमो.
(१) चे स्वरोनी बच्चे आवेला ‘क, ग, च, ज्, त्, इ, प, , ,'
18