________________ निवेदन. हमारे जैनी भाई प्रायः प्रत्येक वर्ष पर्युषण पर्वको मानते हैं / परतु इस पर्वका भाव समझने वाले बहुतही कम व्यक्ति है / ऐसे व्यक्तियों के हितार्थ यह छोटीसी पुस्तिका प्रकाशित कर जैन बाधवोंसे निवेदन करते है कि वे इससे लाभ उठावें और अपने महापर्वको सच्चा पर्व बनानेका प्रयत्न करें। इस पुस्तकके पूर्वाश लिखने में हमें जनहितैच्छुके सपादक श्रीयुक्त वाडीलाल मोतीलालजी शाहके " पर्यपणपर्व अथवा पवित्र जीवन नामक लेखसे जोकि जैनहितैछु के विशेषाक में प्रकाशित हुआ है बहुत कुछ सहायता मिली है। अतएव हम उक्त महोदयके आभारी है। लेखक