________________ पर्युषणकी प्रार्थना। हे नैनोंके अंतरंगमें छुपे हुए परमेश्वर ! अब तू अपना सत्य स्वरूप प्रगट कर / तूं सर्वशक्तिमान होने पर मी डरपोक, खुशामदी, संकुचितवृत्तिवाला, भ्रमित एवं अनानमें आनंद मानने वाला हो गया है / अतएव कुछ तो शर्मिदा हो / और तेरी ईश्वरीय खानदानीको बट्टा लगानेवाली बनावटी क्षमावनीके बदले निःस्वार्थ जनसेवाका व्रत लेकर प्रायश्चित्त कर / और तेरा ज्ञान, चारित्र एवं वीर्यमय तेजस्वी स्वरूप धारण कर / तुझ परमेश्वरको प्रकाशित करनेके लिए दूसरे किस परमेश्वरकी प्रार्थना आवश्यकीय है ' तूं ही अपनी सहायतासे आसपासकी मर्यादाकी सांकलोको एक महावीरके समान तोड़कर फेंकदे , और अपना दिव्य स्वरूप प्रगट कर / वाडीलाल मोतीलाल शाह /