________________
श्रीसमन्तभद्राय नमः .
श्रीमत्स्वामि समन्तभद्राचार्य - विरचित
चतुर्विंशति-जिन स्तवनात्मक स्वयम्भू स्तोत्र
नुवादादि सहित
*****
१
श्रीवृषभ-जिन स्तवन
-******
स्वयम्भुवा भूत- हितेन भूतले मञ्जस-ज्ञान- विभृति चक्षुषा ।
विराजितं येन विधुन्वता तमः क्षपाकरेणेव गुणोत्करैः करैः ||१||
"जो स्वयम्भू थे— स्वयं ही, बिना किसी दूसरेके उपदेशक, मोक्षमार्गको जानकर तथा उसका अनुष्ठान करके आत्म-विकासको प्राप्त हुए.